Reciprocal Tariff: ट्रम्प की टैरिफ सुनामी का भारतीय बाजार पर असर

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Reciprocal Tariff का अर्थ​

Reciprocal Tariff से तात्पर्य किसी देश द्वारा किसी अन्य देश द्वारा लगाए गए समान टैरिफ के जवाब में लगाए गए करों या व्यापार प्रतिबंधों से है। इसका उद्देश्य व्यापार संबंधों में समानता बनाए रखना होता है। यदि कोई देश किसी अन्य देश के उत्पादों पर टैरिफ बढ़ाता है, तो जवाबी कार्रवाई के रूप में दूसरा देश भी टैरिफ लगा सकता है। इससे स्थानीय व्यवसायों को संरक्षण और व्यापार असंतुलन में सुधार होता है।

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अमेरिकी टैरिफ पॉलिसी: Liberation Day​

2 अप्रैल 2025 को, राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने अमेरिका के व्यापार संबंधों में सुधार के लिए एक नई टैरिफ पॉलिसी का प्रस्ताव रखा। इसे “Liberation Day” के रूप में घोषित किया गया। यह पॉलिसी लगभग सभी आयातित वस्तुओं पर 10% टैरिफ लगाती है। व्यापार असंतुलन और अमेरिकी वस्तुओं पर विदेशी टैरिफ के आधार पर चयनित देशों पर अतिरिक्त Reciprocal Tariff लगाए गए हैं।

प्रमुख देशों पर टैरिफ दरें​

  • चीन: 54%
  • यूरोपीय संघ: 20%
  • जापान: 24%
  • भारत: 26%
  • दक्षिण पूर्व एशियाई राष्ट्र (कंबोडिया, लाओस, वियतनाम): लगभग 50%
  • कार आयात पर कर: 25%
  • छूट: कनाडा और मैक्सिको USMCA के तहत मुक्त हैं।

भारत पर US Reciprocal Tariff का असर​

भारत से अमेरिका को निर्यात होने वाली सभी वस्तुओं पर समान 26% टैरिफ लगाया गया है। ट्रम्प प्रशासन का कहना है कि व्यापार घाटे को कम करने और घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए यह जरूरी है।

टैरिफ का आर्थिक प्रभाव​

टैरिफ से घरेलू उद्योग को बढ़ावा मिलता है, लेकिन अंतर्राष्ट्रीय व्यापार बाधित होता है। इससे शेयर बाजार में गिरावट देखी गई है। BSE Sensex और Nifty 50 में कमी दर्ज की गई है।

निष्कर्ष​

Reciprocal Tariff नीतियों से वैश्विक व्यापार में बदलाव आया है। अमेरिका और भारत समेत कई देशों में इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। इन नीतियों का दीर्घकालिक प्रभाव देशों की आपसी बातचीत पर निर्भर करेगा।
 
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