Monetary Policy क्या है? जानिए अर्थ, उद्देश्य और शेयर बाजार पर प्रभाव

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Monetary Policy क्या है?​

Monetary Policy (मौद्रिक नीति) केंद्रीय बैंक (RBI) द्वारा लागू की जाने वाली नीति है, जिसका उद्देश्य अर्थव्यवस्था में मुद्रा आपूर्ति और ब्याज दरों को नियंत्रित करना होता है। यह नीति आर्थिक स्थिरता बनाए रखने, मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने और आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

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Monetary Policy के प्रकार​

  1. विस्तारवादी मौद्रिक नीति: इसमें ब्याज दरें घटाकर बाजार में अधिक नकदी प्रवाहित की जाती है, जिससे आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा मिलता है।
  2. संकीर्ण मौद्रिक नीति: इसमें ब्याज दरें बढ़ाई जाती हैं ताकि मुद्रा आपूर्ति को सीमित करके मुद्रास्फीति को नियंत्रित किया जा सके।

Monetary Policy के उद्देश्य​

मौद्रिक नीति का मुख्य उद्देश्य मुद्रास्फीति को नियंत्रित करना, आर्थिक विकास को बढ़ावा देना, रोजगार सृजन करना, विनिमय दर को स्थिर रखना और वित्तीय स्थिरता बनाए रखना है।

Monetary Policy और Fiscal Policy में अंतर​

Monetary Policy को केंद्रीय बैंक (RBI) लागू करता है और इसका मुख्य फोकस मुद्रा आपूर्ति और ब्याज दरों पर होता है, जबकि Fiscal Policy को सरकार लागू करती है और यह कराधान, सरकारी व्यय और आर्थिक विकास से संबंधित होती है।

Monetary Policy के प्रमुख उपकरण​

  • रेपो रेट: जिस दर पर RBI बैंकों को ऋण देता है।
  • रिवर्स रेपो रेट: जिस दर पर RBI बैंकों से धन उधार लेता है।
  • CRR (नकद आरक्षित अनुपात): बैंकों को अपनी जमा राशि का एक हिस्सा RBI के पास रखना होता है।
  • SLR (सांविधिक तरलता अनुपात): बैंकों को अपनी जमा राशि का एक निश्चित हिस्सा सरकारी प्रतिभूतियों में निवेश करना होता है।

शेयर बाजार पर प्रभाव​

  • ब्याज दरों में कमी: बाजार में लिक्विडिटी बढ़ती है, जिससे स्टॉक्स की कीमतें बढ़ती हैं।
  • ब्याज दरों में वृद्धि: निवेश पर प्रभाव पड़ता है और बाजार में गिरावट देखी जा सकती है।
  • बैंकिंग, रियल एस्टेट और ऑटो सेक्टर: ब्याज दरों में बदलाव से इन सेक्टरों पर सीधा प्रभाव पड़ता है।

निष्कर्ष​

Monetary Policy का शेयर बाजार पर गहरा प्रभाव पड़ता है। निवेशकों को नीतिगत बदलावों पर नजर रखनी चाहिए और अपने निवेश निर्णय सोच-समझकर लेने चाहिए।
 
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