तेरी आंखों के आईने में जब-जब देखी अपनी छाया,
खुद को पूरी क़ायनात से भी ज्यादा खूबसूरत पाया।
मेरी हर शायरी मेरे दर्द को करेगी बंया ‘ए गम’
तुम्हारी आँख ना भर जाएँ, कहीं पढ़ते पढ़ते..!!
कुर्सी है, तुम्हारा ये जनाज़ा तो नहीं है,
कुछ कर नहीं सकते तो उतर क्यों नहीं जाते।
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खुद को पूरी क़ायनात से भी ज्यादा खूबसूरत पाया।
मेरी हर शायरी मेरे दर्द को करेगी बंया ‘ए गम’
तुम्हारी आँख ना भर जाएँ, कहीं पढ़ते पढ़ते..!!
कुर्सी है, तुम्हारा ये जनाज़ा तो नहीं है,
कुछ कर नहीं सकते तो उतर क्यों नहीं जाते।
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