म्यूचुअल फंड में कंपाउंडिंग का 8-4-3 नियम: निवेश का जादुई फॉर्मूला

muskan1

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निवेश की दुनिया में कंपाउंडिंग को ‘अर्थव्यवस्था का आठवां अजूबा’ कहा जाता है। अगर आप लंबी अवधि में वेल्थ बनाना चाहते हैं तो कंपाउंडिंग को समझना और अपनाना जरूरी है। इसी के साथ आता है एक बेहद कारगर नियम – 8-4-3 का नियम। यह नियम निवेशकों को सरल भाषा में बताता है कि कैसे धैर्य और अनुशासन से बड़ा फंड बनाया जा सकता है।

क्या है कंपाउंडिंग?​

कंपाउंडिंग का मतलब है – ब्याज पर ब्याज। यानी आपने जो पैसा निवेश किया है, वह पैसा तो बढ़ता ही है, साथ ही जो रिटर्न मिलता है, वह भी आगे रिटर्न देने लगता है। यही है कंपाउंडिंग का कमाल।



8-4-3 नियम क्या है?​

यह नियम तीन चरणों में विभाजित है:

  • पहले 8 साल – SIP चालू रखो​

इस चरण में आपको नियमित रूप से हर महीने SIP (Systematic Investment Plan) करना है। इस समय तक आपको अपने पोर्टफोलियो को बढ़ाने पर फोकस करना है।

  • अगले 4 साल – SIP चालू, लेकिन पैसे को छुओ मत​

इन चार सालों में आप SIP करना जारी रखेंगे, लेकिन निवेश से कोई पैसा नहीं निकालेंगे। यह कंपाउंडिंग को मजबूत आधार देता है।

  • फिर 3 साल – कुछ मत करो!​

अब SIP भी रोक दीजिए और निवेश से कुछ निकालिए भी मत। बस अपने निवेश को बढ़ने दीजिए। यही वह समय होता है जब कंपाउंडिंग असली जादू दिखाती है।

एक उदाहरण से समझें​

मान लीजिए आप हर महीने ₹10,000 की SIP करते हैं।

  • पहले 8 साल में आपने ₹9.6 लाख निवेश किए।
  • अगले 4 साल में निवेश बढ़कर ₹14.4 लाख हो गया, और आपका कुल निवेश ₹14.4 लाख हो गया।
  • आखिरी 3 साल में आपने कुछ नहीं किया, लेकिन आपका पैसा खुद काम करता रहा। और इसी दौरान आपका फंड ₹40 लाख या उससे ज्यादा तक पहुंच सकता है।

क्यों काम करता है यह नियम?​

  • यह नियम अनुशासन सिखाता है।
  • कंपाउंडिंग को पूरा समय देता है।
  • निवेशक को बार-बार पैसा निकालने की गलती से बचाता है।

निष्कर्ष​

अगर आप फाइनेंशियल फ्रीडम चाहते हैं, तो 8-4-3 कंपाउंडिंग नियम को ज़रूर अपनाएं। यह न केवल सरल है बल्कि दीर्घकालिक वेल्थ क्रिएशन के लिए बेहद प्रभावी भी है।

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